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दूरबीन न्यूज डेस्क। आसान नही होगा सदर अस्पताल की व्यवस्था को पटरी पर लाना, नए डीएस के सामने होगी यह नई चुनौती। सदर अस्पताल की व्यवस्था को सुदृढ़ करने को लेकर एक ओर जहां सांसद शांभवी पूरे एक्शन मोड में हैं। वहीं उनकी शिकायत के बाद जिला प्रशासन व स्वास्थ्य प्रशासन के वरीय अधिकारी की भी नजर अब सदर अस्पताल की ओर है।
जिसके कारण पिछले कुछ दिनों में कई बार जिला प्रशासन की ओर से कई अधिकारी सदर अस्पताल का दौरा कर चुके हैं। वहीं अब शीघ्र ही सदर अस्पताल मामले की उच्चस्तरीय जांच भी शुरु होने की संभावना है। इस बीच सदर अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. गिरीश कुमार को सीएस के द्वारा पदमुक्त करते हुए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नागमणि राज को कमान सौंप दिया गया है।
इस स्थिति में नए डीएस डॉ. नागमणि राज के लिए सदर अस्पताल का सफल संचालन एवं दलाल मुक्त परिसर बनाना किसी बड़े चुनौती से कम नहीं हैं। दलालों की सक्रियता इतनी अधिक है कि पलक झपकते ही मरीज निजी क्लीनिक व नर्सिंग होम पहुंच जाते हैं। इसका भी खुलासा पिछले दिनों विभूतिपुर के विधायक अजय कुमार के द्वारा किया जा चुका है।
अस्पताल की व्यवस्था में कितना सुधार हो पाएगा यह तो समय के गर्भ में हैं, लेकिन कई बड़ी चुनौतियों से निपटना नए डीएस के लिए आसान नहीं दिख रहा है। वहीं ड्यूटी रोस्टर को लेकर कतिपय डॉक्टरों की गुटबंदी को तोड़ना भी आसान नहीं होगा। अब देखना यह होगा कि नए डीएस में अस्पताल संचालन में कितना सफल हो पाते हैं।
सुबह शाम हो रही है निरीक्षण: फिलहाल नए डीएस के द्वारा पदभार ग्रहण नहीं किया गया है। लेकिन आदेश जारी होने के बाद से नए डीएस डॉ नागमणि राज के द्वारा पिछले दो दिनों से कई बार वार्डों एवं इमरजेंसी का निरीक्षण किया जा चुका है। ऐसे में काम छोड़कर भागने वाले कर्मियों के लिए परेशानी बनी हुई है।
फिलहाल सुबह व शाम नियमित रुप से इमरजेंसी वार्ड, एसएनसीयू सहित अन्य वार्डों की निरीक्षण किया गया है। साथ ही मरीजों से भी अपडेट लिया जा रहा है। वहीं मरीजों को बेड पर प्रतिदिन चादर भी फिलहाल बदले जाने लगे हैं।
एसओपी का पालन बड़ी होगी चुनौती: सदर अस्पताल में बड़ी चुनौती में मुख्य रुप से डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति एवं एसओपी के तहत डॉक्टरों का सप्ताह में कम से कम 48 घंटे की ड्यूटी होगी। रोस्टर में भले ही डॉक्टरों की ड्यूटी लगायी गयी है, लेकिन रोस्टर का पालन नहीं हो पाता है।
जिसके कारण आए दिन मामला फंसता रहता है। इसका खुलासा सांसद के निरीक्षण में भी हो चुका है। वहीं इमरजेंसी एवं प्रसव कक्ष में आने वाले गंभीर मरीज की गंभीरता से इलाज के अलावे एसएनसीयू में डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित कराना बड़ी चुनौती होगी।
इसमें भी लाना होगा सुधार: इसके अलावे वार्डों की साफ-सफाई, सभी बेडों पर नियमित रुप से चादर की उपलब्धता, इमरजेंसी में सभी उपकरण का दुरुस्त होना, अस्पताल परिसर को जल जमाव से मुक्त कराना, मरीजों से नजराना वसूलने के नाम पर मुंहमांगी राशि मांगना, ओपीडी में सभी डॉक्टरों की निर्धारित समय तक उपस्थिति सुनिश्चित कराना भी नए डीएस के लिए चुनौती है।
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