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दूरबीन न्यूज डेस्क। दरभंगा में पद्मश्री पं. रामकुमार मल्लिक का निधन, शोक की लहर। अमता घराने के प्रख्यात ध्रुपद गायक पद्मश्री रामकुमार मलिक का निधन शनिवार की रात दो बजे उनके पैतृक गांव बहेड़ी प्रखंड के अमता गांव में हृदय गति रुक जाने से हो गया। वे 67 वर्ष के थे। यह जानकारी रविवार को उनके पुत्र संगीत मल्लिक ने दी है। इस खबर से जिले में शोक की लहर दौड़ गयी है।
पं. मल्लिक को केंद्र सरकार ने इसी साल कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। पं. राम कुमार मल्लिक का जन्म 1957 में दरभंगा जिले के बहेड़ी प्रखंड के अमता गांव में हुआ था।
वे अमता (दरभंगा) घराने के प्रतिष्ठित मल्लिक परिवार की 12वीं पीढ़ी के थे। उन्हें ध्रुपद संगीत अपने पिता और विश्व प्रसिद्ध ध्रुपद गायक पं. विदुर मल्लिक से विरासत में मिला था।
पं. मल्लिक को अपने दादा लेफ्टिनेंट पं. सुखदेव मल्लिक से भी ध्रुपद संगीत सीखने का अवसर मिला था। वे अपना प्रथम गुरु अपने दादा सुखदेव मल्लिक को बताते थे।
उनका गायन खंडारवानी और गौरहरवानी के अलावा मीर, गमक, लयकारी और तिहायियों की विविधता के लिए जाना जाता है।
उनके उत्कृष्ट संगीत और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पहले भी सम्मानित किया जा चुका है। पं. मल्लिक ऑल इंडिया रेडियो और टीवी के ए ग्रेड कलाकार भी थे।
प्रख्यात ध्रुपद गायक प. उदय कुमार मल्लिक ने बताया कि पं. रामकुमार मल्लिक ने देश-विदेश के प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी गायकी का लोहा मनवाया।
उनके चार पुत्र संतोष, समित, सहित्य और संगीत मल्लिक तथा दो पुत्रियां रूबी और रिंकी हैं। पं. मल्लिक ने अपने सभी पुत्रों को ध्रुपद गायकी का प्रशिक्षण दिया। उनके निधन से संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। इनके निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है।
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