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जुगाड़ तकनीक से चल रहा स्वास्थ्य विभाग, दर्जन भर प्रशासनिक पदो पर वर्षों से नही हुई पोस्टिंग, प्रभार पर चल रहा कार्य

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दूरबीन न्यूज डेस्क। जुगाड़ तकनीक से चल रहा स्वास्थ्य विभाग, दर्जन भर प्रशासनिक पदो पर वर्षों से नही हुई पोस्टिंग, प्रभार पर चल रहा कार्य। समस्तीपुर में स्वास्थ्य विभाग इन दिनों जुगाड़ तकनीक पर चल रहा है। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि जिले में लगभग दर्जन भर प्रशासनिक पद पर वर्षों से डॉक्टरों की पोस्टिंग नहीं हो पायी है। जिसके कारण मेडिकल अफसरों के प्रभार पर विभाग का संचालन किया जा रहा है।

नतीजतन एक ही मेडिकल अफसरों को एक से अधिक पदों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। जिसके कारण आए दिन अस्पताल से लेकर विभागों के संचालन में समस्या आती है। सोचनीय पहलू यह है कि पिछले कई वर्षो से सरकार का उलट पुलट हो गया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों की पोस्टिंग के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की गयी है।

सदर अस्पताल में अधीक्षक व उपाधीक्षक का पद वर्षों से रिक्त हुआ है। लेकिन इन पर विभाग द्वारा कोई पोस्टिंग नहीं की गयी है। जिसके कारण यहां मेडिकल अफसरों को ही उपाधीक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। मेडिकल अफसरों के बीच के ही डॉक्टरों में से किसी एक को उपाधीक्षक बनाया जाता है, जिसके कारण वो खुलकर प्रशासनिक कार्य नहीं कर पाते हैं। नतीजतन मेडिकल अफसरों से ससमय ड्यूटी कराना आसान नहीं होता है।

सदर अस्पताल के अलावे जिले में अनुमंडलीय अस्पतालों में भी वर्षों से उपाधीक्षक का पद रिक्त है। जिसके कारण अनुमंडलीय अस्पताल पूसा, रोसड़ा, दलसिंहसराय व पटोरी में भी उपाधीक्षक का पद है, लेकिन यहां भी मेडिकल अफसरों के कंधों पर जवाबदेही देकर कार्यों का संचालन किया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के कई कार्यालय ऐसा है जहां वर्षों से अधिकारी का पद रिक्त पड़ा है। जिसके कारण इन कार्यालयों का कार्य भी प्रभावित होता है। मिली जानकारी के अनुसार एसीएमओ का भी पद कई वर्षों से खाली है, जिसका संचालन फिलहाल सीएस के द्वारा किया जाता है। इसके अलावे डीआईओ, डीटीओ, ब्लड बैंक के नोडल अधिकारी, एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी, एनसीडीओ, लेप्रोसी सहित अन्य कार्यालय में कई पद खाली है। इन पदों पर सदर अस्पताल के मेडिकल अफसरों को जवाबदेही दी गयी है।

सिविल सर्जन डॉक्टर एसके चौधरी ने बताया कि किसी भी अस्पताल में उपाधीक्षक की पोस्टिंग के लिए सरकार के द्वारा अधिसूचना नहीं जारी की गयी है। कई विभाग में भी अधिकारी का पद रिक्त है। हर महीने विभाग को पत्र दिया जा रहा है। पद रिक्त होने के कारण एमओ को प्रभार देकर कार्यों का निष्पादन कराया जाता है।

 

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