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आज से थानों में लागू होगा नया कानून, हर गिरफ्तारी पर लिया जाएगा फिंगर प्रिंट, हर घटना में पुलिस पहुचते ही बनाएगी वीडियो

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दूरबीन न्यूज डेस्क। आज से थानों में लागू होगा नया कानून, हर गिरफ्तारी पर लिया जाएगा फिंगर प्रिंट, हर घटना में पुलिस पहुचते ही बनाएगी वीडियो। एक जुलाई से देश भर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। इसके तहत समस्तीपुर में भी सभी थानों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को नए कानून की जानकारी दी जाएगी।

खासकर नागरिकों को विशेष रुप से महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित प्रमुख प्रावधानों के बारे में जानकारी देना है। इसको लेकर कई प्रकार के बदलाव किया गया है। जहां हर गिरफ्तारी में फिंगर प्रिंट को अनिवार्य किया है, वहीं किसी भी तरह की घटना की सूचना पर घटनास्थल पर पहुंचने के साथ ही तलाशी, जांच, जब्ती का भी वीडियो अनिवार्य कर दिया गया है।

इसको लेकर समस्तीपुर एएसपी संजय कुमार पांडेय ने जहां सदर अनुमंडल कार्यालय में मीडियो को नए कानून की जानकारी दी, वहीं पुलिस कार्यालय में ट्रैफिक डीएसपी आशिष राज ने भी नए कानून को लेकर जानकारी दी। जिसके तहत एक जुलाई से हर थाना में नए कानून के तहत आपराधिक मामला को दर्ज किया जाएगा। इसको लेकर सभी पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दी गयी है। हर जिले में बनायी गयी एफएसएल टीम: नए कानून में अब सात साल से अधिक सजा वाले से संबंधित कांडों में एफएसएल जांच अनिवार्य कर दिया गया है।

इसके लिए लोगों को साक्ष्य से किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं करने एवं उसे सुरक्षित रखने की अपील की गयी है। इसके लिए मोबाइल फॉरेंसिक साइंस यूनिट की व्यवस्था की गयी है।

जिससे गंभीर घटना में फॉरेसिंक यूनिट में शामिल विशेषज्ञ उपकरणों के साथ घटनास्थल पर पहुंच कर फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, फिंगरप्रिंट एवं अन्य साक्ष्य संकलन करेंगे। ताकि दोषियों को सजा दिलायी जा सके। इससे गलत बयान एवं गलत दोषा रोपण पर भी रोक लगेगा।

हर गिरफ्तारी पर लिया जाएगा फिंगरप्रिंट: नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटीफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) की राष्ट्रीय डेटावेस में सभी गिरफ्तार व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट उपलब्ध रहता है। इसके तहत अब बिहार में भी प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति का फिंगरप्रिंट लिया जाएगा। जिसका डेटावेस में दर्ज किया जाएगा।

ताकि अपराधिक घटनास्थल पर मिलने वाले फिंगरप्रिंट का त्वरित मिलान फिंगरप्रिंट ब्यूरो द्वारा देश में गिरफ्तार व्यक्तियों के फिंगरप्रिंट डेटाबेस से किया जा सके। इससे जहां अपराधियों की पहचान शीघ्र होगी, वहीं सजा दिलाने में भी मदद होगा।

स्मार्ट फोन व लैपटॉप से होगा लैस: प्रत्येक पुलिस अधिकारियों को स्मार्टफोन एवं लैपटॉप की सुविधा दी जा रही है। इससे आपराधिक घटनास्थल का वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी एवं पीड़ित एवं गवाहों के बयान का ऑडियो, वीडियो के माध्यम से दर्ज कर कोर्ट में पेश किया जा सकेगा। वहीं पुलिस अधिकारी लैपटॉप से किसी भी समय सीसीटीएनएस व आईसीजेएस का उपयोग अनुसंधान एवं जांच में कर सकेंगे, जिससे कांडों के उद्भेदन एवं अनुसंधान की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

महिला अपराध में 24 घंटे के अंदर होगी जांच: एएसपी ने बताया अब घटनास्थल या कहीं से भी एफआईआर दर्ज कराया जा सकता है। ऑन लाइन भी आवेदन दिया जा सकता है। पुलिस द्वारा पीड़ित को 90 दिनों के अंदर जांच की प्रगति के के बारे में सूचित करना अनिवार्य किया गया है। वहीं महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जंच की जाएगी।

साथ ही सात दिनों के अंदर डॉक्टर को मेडिकल रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है। त्वरित न्याय के तहत कानूनी जांच, पूछताछ और मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रुप से आयोजित करने का प्रावधान है। नए आपराधिक कानून में महिलाएं और बच्चे पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध से निपटने के लिए नए आपराधिक कानूनों में 37 धाराओं को शामिल किया गया है।

पीड़ित और अपराधी के दोनों संदर्भ में महिलाओं महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधियों को जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने पर दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा मिलेगी। झूठे वादे या नकली पहचान के आधार पर यौन शोषण करना अब आपराधिक कृत्य माना जाएगा।

डीजीटल मोड पर भी किया गया फोकस: क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सभी चरणों का डिजिटल रुपांतरण किया गया है। इसमें ई समन, ई नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्रस्तुत करना और ई ट्रायल शामिल है। इसके तहत पीड़ित ई बयान दे सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों, अभियुक्तों, विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति के शुरुआत की गयी है।

दस्तावेजों की परिभषा में सर्वर लॉग, स्थान संबंधित साक्ष्य और डिजिटल वॉयस संदेश को शामिल किया गया है। अब अदालतों में इलेक्ट्रॉनिनक साक्ष्य को फिजिकल एविडेंस के बराबर माना जाएगा। कानून के तहत सेकेंडरी एविडेंस का दायबरा बढ़ा दिया गया है। इसमें मौखिक एवं लिखित स्वीकारोक्ति और दस्तावेज की जांच करने वााले कुशल व्यक्ति का साक्ष्य शामिल है।

अपराध को नए तरीके से किया गया परिभाषित:
कई अपराध एवं दंड को नए तरीके से परिभाषित किया गया है। इसमें छीनाझपटी, स्नैचिंग एक गंभीर और नॉन बेलेबल अपराध है। भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने या किसी समूह में आतंक फैलाने के लिए किए गए अपराध को आतंकवादी गतिविधि मानी जाएगी।

राजद्रोह की जगह देशद्रोह शब्त इस्तेमााल किया गया है। वहीं मॉब लिंचिंग करने पर अब दोषियों को मृत्युदंड की सजा मिलेगी। संगठित अपराध में शामिल बदमाशों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। नए कानून में अब समाज में कोई भी प्रतिष्ठित व्यक्ति, कानून को मानने वाले पर अब झूठा एफआइरर दर्ज नहीं किया जाएगा।

अगर कोई भी सामाजिक प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति के विरुद्ध आवेदन देता है तो थानाध्यक्ष इसकी जांच करेंगे और जांच में गलत पाया गया तो इसकी सूचना डीएसपी रैंक के अधिकारी को देंगे। ताकि कोई झूठा प्राथमिकी दर्ज नहीं किया जा सके। इधर, एक जुलाई को सभी थानों में नए कानून की जानकारी आम लोगो को दी जाएगी।

 

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