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दूरबीन न्यूज डेस्क। मलेरिया कार्यालय भवन की हालत जर्जर, कभी हो सकता धराशायी। स्वास्थ्य विभाग में अस्पताल में नए नए भवन तैयार किया जा रहा है। ताकि मरीजों की समुचित इलाज हो सके। लेकिन विभागीय कार्यालय की स्थिति काफी लचर है। वही कुछ विभाग ऐसे हैं, जिसका भवन कभी भी धरासायी हो सकता है। कुछ ऐसी ही हालत जिला मलेरिया विभाग के कार्यालय की है।
मलेरिया विभाग को आजतक कार्यालय के लिए भवन भी नसीब नही हुआ, नतीजतन वर्षों से गोदाम में ही कार्यालय संचालित हो रहा है। जगह व भवन नही मिलने के कारण आधे भाग में कार्यालय व आधे भाग
में गोदाम का कार्य संचालन किया जा रहा है। उस भवन की हालत भी खराब है। वर्षों पुराने गोदाम कभी भी धरासायी हो सकता है। जर्जर होने के बावजूद एक दर्जन से अधिक कर्मी प्रतिदिन कार्य करते हैं।
कार्यालय में जगह की काफी कमी है। जिसके कारण समुचित बैठने की भी जगह नही है। नतीजतन कार्यों को निपटाने में कर्मचारियों को काफी परेशानी होती है। डीएमओ विजय कुमार ने बताया कि जो व्यवस्था विभाग के द्वारा उपलब्ध है, उसी में कार्यों को ससमय पूरा किया जा रहा है। समय समय पर भवन का रंग रोगन व मरम्मत कराया गया है।
केवीन बनाकर होता है कार्य: गोदाम होने के कारण भवन की व्यवस्था नही है। नतीजतन कर्मचारियों व अधिकारी के लिए केबिन बनाया गया है। केबिन इतना छोटा है कि उसमें ठीक से दो व्यक्ति भी सामने नही बैठ सकते हैं। भीषण गर्मी में किसी तरह कर्मी कार्य निपटा रहे हैं। कई बार वरीय अधिकारियों द्वारा निरीक्षण भी किया गया है, बावजूद कोई परिणाम नही मिला है।
शौचालय की नही है सुविधा: जिला मलेरिया कार्यालय में आज तक शौचालय की व्यवस्था भी नही हो पायी है। कार्यालय में पुरूष व महिला कर्मी कार्यरत है। वर्षों से कार्यक्रम संचालित किया जाता है। लेकिन आज तक वैकल्पिक रूप से भी शौचालय की व्यवस्था नही की जा सकी। जरूरत होने पर कर्मियों को सिविल सर्जन कार्यालय जाना पड़ता है।
बरसात में चुता है पानी: मलेरिया कार्यालय का भवन काफी पुराना होने के कारण पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बरसात होते ही भवन के छत से पानी टपकता रहता है। जिसके कारण कार्यालय में रखें सामान एवं फाइल भींग जाता है। इसको बचाने के लिए प्लास्टिक से ढक कर समान रखना पड़ता है। बरसात के समय मे कार्यालय बन्द करने से पहले सभी जरूरी फाइल को आलमीरा या फिर प्लास्टिक से ढंकना पड़ता है।
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