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समस्तीपुर। शिवाजीनगर ब्लॉक में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के तीसरे दिन परमात्मा के दिव्य कर्तव्य पर प्रकाश डालते हुए रोसड़ा से आई ब्रह्माकुमारी कुंदन बहन ने कहा कि परमात्मा के कर्तव्य का तरीका बाकी सभी से निराला है। क्योंकि परमपिता परमात्मा शिव जन्म-मरण से न्यारे हैं। इसलिए उन्हें अपना दिव्य कर्तव्य करने के लिए प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के साकार तन में अवतरित होना पड़ता है।
ब्रह्मा मुख के द्वारा परमात्मा शिव सत्य ज्ञान देकर मनुष्य आत्माओं का जीवन देव तुल्य बनाकर नई सृष्टि सतयुग की स्थापना करते हैं। शंकर द्वारा इस पुरानी, पतित, कलियुगी, तमोप्रधान सृष्टि का विनाश करवाते हैं और विष्णु के द्वारा नई सतयुगी देवी-देवताओं की दुनिया की पालना करवाते हैं। चूंकि परमात्मा शिव निराकार ज्योति बिंदु स्वरूप हैं, उनका कोई आकारी या साकारी रूप नहीं, इसलिए उनके बजाय ब्रह्मा को ही सृष्टि का रचयिता कह दिया गया।
परमात्मा तीनों देवताओं द्वारा अपना दिव्य कर्तव्य करते हैं, इसलिए उन्हें त्रिमूर्ति शिव भी कहते हैं। हमारे लिए यह महान खुशखबरी है कि अभी परमात्मा का वह दिव्य कर्तव्य चल रहा है और इसी कर्तव्य से रूबरू कराने एवं समस्त जनमानस को परमात्मा के कर्तव्य का भागीदार बनाने व आने वाले स्वर्णिम भारत में अपने दैवी राज्य-भाग्य की सीट बुक करने के सुनहरे अवसर की जानकारी देने के लिए इस वृहद प्रदर्शनी एवं राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है।
अब बहुत थोड़ा सा समय रहा हुआ है। अत: इस समय को हम हाथ से न जाने दें। सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने बड़ी उत्सुकता और तत्परता से परमात्म-ज्ञान का रसास्वादन किया। दुर्गा मंदिर परिसर में सात दिवसीय नि:शुल्क शिविर दोपहर 2 से 3:30 बजे तक प्रतिदिन चलता रहेगा।