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आत्मज्ञान के बिना सारे संसार का ज्ञान अधूरा है, स्वयं को शरीर और इससे जुड़े परिचय से जोड़कर देखना अंधकार में जीना है, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा शिविर आयोजित

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समस्तीपुर। शिवाजीनगर ब्लॉक में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा आयोजित स्वर्णिम भारत नवनिर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी एवं राजयोग मेडिटेशन शिविर के दूसरे दिन जिज्ञासुओं के आने का सिलसिला बड़ी संख्या में जारी रहा। वहीं सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के प्रथम दिन आत्मज्ञान के बारे में प्रकाश डालते हुए रोसड़ा से आई ब्रह्माकुमारी कुंदन बहन ने कहा कि आज का मानव दुनिया के किसी भी कोने की खबर पलक झपकते ही प्राप्त कर सकता है।

लेकिन उसे स्वयं के सत्य पहचान की खबर नहीं है। आत्मज्ञान के बिना सारे संसार का ज्ञान अधूरा है। स्वयं को शरीर और इससे जुड़े परिचय से जोड़कर देखना अंधकार में जीना है। यही कारण है कि आज का मानव दुःख, चिंता, भय, अशान्ति, अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। क्योंकि जहां अंधकार होता है वहां यह सारी चीजें मौजूद होती हैं। आत्मज्ञान का प्रकाश मिलने से अज्ञानता का अंधकार छंटता जाता है।

साथ ही हमारे जीवन में आत्मा के अनादि गुण शान्ति, प्रेम, पवित्रता, खुशी, आनंद और शक्ति की अनुभूति दिनोंदिन बढ़ने लगती है। और सभी बातों की जानकारी के साथ संसार को इस ज्ञान की अत्यधिक आवश्यकता है। संसार की समस्त बुराइयों के जड़ में आत्मज्ञान की अनभिज्ञता ही है। आत्मा सभी सूक्ष्म इंद्रियों- मन, बुद्धि, संस्कार एवं कर्मेंद्रियों की मालिक है। आज मन रूपी घोड़ा आत्मा को अपनी व्यर्थ इच्छाएं पूरी करने के लिए दौड़ा रहा है, भटका रहा है। क्योंकि बुद्धि की लगाम आत्मा से छूट चुकी है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार के विकारी संस्कार आत्मा से पाप-कर्म करवा रहे हैं।

जब आत्मा राजा स्वयं को मस्तक के बीचों-बीच भृकुटी के मध्य निश्चय कर कोई भी विचार या कर्म करता है तो उसके द्वारा किये गये हर कर्म सार्थक होते हैं और जीवन में शान्ति-खुशी-सफलता की स्वत: अनुभूति होने लगती है। इधर, एक सौ से अधिक लोगों ने शिविर का लाभ लिया एवं प्रदर्शनी के दौरान सैकड़ों लोगों ने शिविर के लिए नामांकन भी कराया। ज्ञात हो कि दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित यह प्रदर्शनी रविवार संध्या 6:00 बजे तक चलेगी। इसी स्थान पर सात दिवसीय नि:शुल्क शिविर दोपहर 2 से 3:30 बजे तक प्रतिदिन चलता रहेगा।