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समस्तीपुर। विश्व स्ट्रोक दिवस (लकवा) पर शहर के एक होटल में मेडाज हॉस्पिटल पटना के तत्वावधान में जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अवसर पर डॉक्टर रज़ी आलम ने बताया की भारत में प्रति वर्ष अठारह लाख लोग प्रति वर्ष स्ट्रोक का शिकार होते हैं। स्ट्रोक भारत का तीसरा जान लेने वाला प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने बताया की दस से पंद्रह प्रतिशत स्ट्रोक 40 वर्ष से कम आयु के लोगों को होता है, वहीं चालीस प्रतिशत स्ट्रोक साठ वर्ष के कम आयु के लोगों को होता है। इतना ही नहीं दुनिया में प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने बताया की स्ट्रोक एक न्यूरो इमर्जेंसी है। जिसका इलाज संभव है। स्ट्रोक के मामले गोल्डन आवर्स पहला साढ़े चार घंटा अत्यावश्यक है। इसके तहत मस्तिष्क कोशिकाओं को स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त होने तथा विकलांगता से बचाने हेतु महत्वपूर्ण है। डॉक्टर रज़ी ने आगे बताया की स्ट्रोक से बचने के लिए उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखे, धूम्रपान एवं मद्यपान न करें, ब्लड शुगर एवं कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें। शारीरिक गतिविधि बनाए रखें, मोटापा कम करें, स्वास्थ्य का नियमित जांच कराए।
उन्होंने बताया की इस तरह अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहेंगे तो स्ट्रोक का खतरा कम रहेगा और स्ट्रोक से बचा जा सकता है। श्री रज़ी ने बताया की जब किसी व्यक्ति का चेहरा एक तरफ झुक जाए, बांह में कमजोरी या हाथ उठाने में परेशानी हो, बोलने में तकलीफ या लड़खराहट हो तब समझ जाए की आपको स्ट्रोक का अटैक हुआ ऐसे में जल्दी से एंबुलेंस बुलाए और अस्पताल पहुंचे।