Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

ललित बाबू की विचारधारा समाज को आगे बढ़ाने तथा सामाजिक समरसता की स्थापना हेतु प्रेरणा स्रोत- कुलपति

व्हाट्सएप से जुड़ने के लिए क्लीक करें

ललित बाबू की विचारधारा समाज को आगे बढ़ाने तथा सामाजिक समरसता की स्थापना हेतु प्रेरणा स्रोत- कुलपति। ललित बाबू के द्वारा संपन्न सारे कार्य सकारात्मक और हमारे लिए यादगार एवं प्रेरक हैं। उनकी विचारधारा समाज को निरंतर आगे बढ़ाने तथा सामाजिक समरसता की स्थापना हेतु प्रेरणा के स्रोत हैं। ललित बाबू मात्र 53 वर्ष की उम्र तक में ही अनेकानेक सराहनीय एवं अनुकरणीय काम किये। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने जुबली हॉल में ललित नारायण मिश्र चेयर, स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग तथा राष्ट्रीय सेवा योजना कोषांग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 103 वीं ललित जयंती समारोह- 2025 की अध्यक्षता करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि ललित बाबू की सोच को आगे बढ़ाने में विश्वविद्यालय पूर्णतः सक्षम है। उनका अपनी धरती मिथिला से विशेष लगाव था। हमें ललित बाबू की तरह ही बिना किसी को दबाए हुए सकारात्मक रूप से सभी कार्य करना चाहिए।
कुलपति ने चेयर में अवकाश प्राप्त शिक्षकों तथा शोधार्थियों को भी अधिक से अधिक जोड़कर, उनके माध्यम से शोध-कार्यों, पुस्तकों के प्रकाशन तथा प्रति माह एक संगोष्ठी अवश्य करने का आह्वान किया। प्रोफेसर ज्ञान के पुंज होते हैं। हमारे विश्वविद्यालय की अब एक अलग पहचान बन गई है, क्योंकि अब यह शोध विश्वविद्यालय है। शिक्षक सिर्फ कार्य के घंटे देखकर ही नहीं, बल्कि छात्रहित में विश्वविद्यालय को हमेशा आगे बढ़ाने हेतु काम करें। सबके प्रति आदर भाव रखते हुए सहज एवं सरल रूप से छात्रों को शिक्षा एवं प्रेरणा देना चाहिए। छात्र भी अपने शिक्षकों से अधिक से अधिक इंटरेक्ट कर लाभा उठाए।

मुख्य अतिथि के रूप में आर के कॉलेज, मधुबनी के अवकाश प्राप्त राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ श्रुतिधारी सिंह ने मिथिला पेंटिंग के प्रचार- प्रसार में ललित बाबू के योगदानों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने जयंती जनता ट्रेन में पहली बार मिथिला पेंटिंग्स उकेरवाया था। उन्होंने कहा कि ललित बाबू उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ, सच्चे समाजसेवी तथा कुशल प्रशासक थे। वे जीवन पर्यंत हमेशा मिथिलांचल के विकास हेतु कार्य करते रहे। मुख्य वक्ता के रूप में सीनेटर डॉ बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ ने विश्वविद्यालय तथा सी एम कॉलेज की स्थापना का इतिहास विस्तार से बताते हुए ललित बाबू के संघर्षों को याद किया। उन्होंने ललित सहित अन्य चेयरों की स्थापना का श्रेय कुलपति को देते हुए उनका धन्यवाद किया। डॉ चौधरी ने ललित बाबू को भारतरत्न देने की मांग करते हुए कहा कि ललित बाबू ने कहा था कि मैं रहूं या न रहूं बिहार अवश्य ही आगे बढ़कर रहेगा।

 

विशिष्ट अतिथि के रूप में ललित कला के संकायाध्यक्ष प्रो पुष्पम नारायण ने कहा कि दूरदर्शी एवं अर्थशास्त्री ललित बाबू का जन्म वसंत पंचमी को हुआ था और संयोग है कि आज भी बसंत पंचमी ही है। वे मात्र एक व्यक्ति नहीं, बल्कि विशाल व्यक्तित्व थे, जिन्होंने मिथिला, बिहार तथा पूरे देश के विकास को गति प्रदान की। उन्होंने कहा कि ललित बाबू की विकासवादी सोच का हम नमन करते हैं, जिन्होंने कोशी- बाढ़ की समस्या को दूर करने का पूरा प्रयास किया। अपनी कार्य क्षमता एवं कुशलता से समाज के उत्थान तथा लोगों के कल्याण हेतु अनेक कार्य किये। उन्होंने कहा कि हम विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में स्थापित चेयरों के लिए प्रायोजक भी ढूंढें, ताकि इनके माध्यम से अधिक से अधिक शैक्षणिक कार्यों को संपन्न कर सके।

कुलसचिव डॉ अजय कुमार पंडित ने ललित जयंती की बधाई देते हुए कहा कि वे हमारे अमूल्य धरोहर हैं। मैथिली को साहित्य अकादमी में शामिल करवाने, मिथिला पेंटिंग्स को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने तथा 36 रेल परियोजनाओं को प्रारंभ कराने आदि उनके यादगार कार्य हैं। विशेष रूप से मिथिला को विकसित करने में उन्होंने पूरा जीवन लगा दिया।
समारोह के प्रारंभ में कुलपति प्रो एस के चौधरी के नेतृत्व में ललित बाबू की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। तदोपरांत जुबली हॉल में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर समारोह का उद्घाटन किया गया और ललित बाबू के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।

अतिथियों का स्वागत पाग, चादर तथा बुके से किया गया। बिहार-गीत, कुलगीत तथा राष्ट्रगान पीजी संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुत किया। समारोह में संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, पदाधिकारी, शिक्षक, शोधार्थी, छात्र तथा विभिन्न कॉलेजों के कार्यक्रम पदाधिकारी एवं स्वयंसेवक काफी संख्या में उपस्थित थे। मैथिली प्राध्यापक प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता के कुशल संचालन में स्वागत संबोधन ललित नारायण मिश्र चेयर के निदेशक डा अंबरीष कुमार झा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने किया।