यहां क्लीक कर हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े
समस्तीपुर। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने विभिन्न भाषाओं में प्रति वर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा कर दी है। इस वर्ष मैथिली में साहित्यकार प्रोफेसर डा. वासुकीनाथ झा को यह पुरस्कार दिया जाएगा। डा. झा समस्तीपुर जिले के हसनपुर प्रखंड अंतर्गत पटसा गांव के रहने वाले हैं। उनके नाम की घोषणा से साहित्यकारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। वे समस्तीपुर के चौथे साहित्यकार हैं, जिन्हें देश के प्रतिष्ठित पुरस्कारों के लिए चुना गया है। साहित्य अकादमी ने उनकी किताब ‘बोध-संकेतन’ निबंध के लिए यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया है।
सबसे बड़ी बात यह है कि मैथिली साहित्य के निर्णायक मंडल में शामिल भावेश चंद्र शिवांशु, नवीन चौधरी एवं सियाराम झा सरस ने सर्वसम्मति से उनके नाम का चयन किया। इससे पहले वर्ष 1971 में पंडित सुरेन्द्र झा सुमन को उनकी रचना पयस्विनी, वर्ष 1982 में मार्कण्डेय प्रववासी को अगस्तयायनी और आरसी प्रसाद सिंह को उनकी रचना सूर्यमुखी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। मुख्य रूप से मैथिली में विद्यापति काव्यालोचन ( शास्त्रीय समालोचना),
अनुशीलन – अवबोध ( समालोचनात्मक शोध, निबंध संग्रह), परिवह (आधुनिक समालोचनात्मक निबंध संग्रह), बोध संकेतन (विभिन्न लेखक पोथी लेले लिखल गेल भूमिकाक संग्रह), वास्तुवाची संकेतन (साहित्यिक प्रवृत्तिमूलक निबंध संग्रह), व्यक्तिवाची संकेतन ( व्यक्तित्व आधारित निबंध संग्रह) और मैथिली में – मैथिली साहित्यक रूपरेखा ( भाग एक और दो), उपन्यास और सामाजिक चेतना सहित कई किताबें लिखी है।
वे मैथिली साहित्य की सबसे बड़ी संस्था चेतना समिति, पटना के महासचिव हैं। समस्तीपुर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं बीआरबी कालेज के पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष डा नरेश कुमार विकल कहते हैं कि डा वासुकीनाथ झा हमारे गुरु रहे हैं। उनका सम्मान समस्तीपुर जिले के सभी साहित्यकारों का सम्मान हैं। विद्यापति परिषद के अध्यक्ष रामानंद झा एवं महासचिव सह बीआरबी कालेज के सेवानिवृत संस्कृत विभागाध्यक्ष डा रमेश झा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान पूरे जिला वासियों का सम्मान है। (विनोद गिरी जी के फेसबुक वॉल से)